बड़ी-बड़ी कोठिया सजाए पूँजीपतिया
कि दुखिया के रोटिया चोराए-चोराए
अपने महलिया में करे उजियरवा
कि बिजरी के रडवा जराए-जराए
कत्तो बने भिटवा कतहुँ बने गढ़ई
कत्तो बने महल कतहुँ बने मड़ई
मटिया के दियना तूहीं त बुझवाया
कि सोनवा के बेनवा डोलाए-डोलाए
मिलया में खून जरे खेत में पसीनवा
तबहुं न मिलिहैं पेट भर दनवा
अपनी गोदमिया तूहीं त भरवाया
कि बड़े-बड़े बोरवा सियाए-सिआए
राम अउर रहीम के ताके पे धइके लाला
खोई के ईमनवा बटोरे धन काला
देसवा के हमरे तू लूट के खाय
कई गुना दमवा बढ़ाए-बढ़ाए
जे त करे काम, छोट कहलावे
ऊ बा बड़ मन जे जतन बतावे
दस के सासनवा नब्बे पे करवावे
इहे परिपटिया चलाए-चलाए
जुड़ होई छतिया तनिक दऊ बरसा
अब त महलिया में खुलिहैं मदरसा
दुखिया के लरिका पढ़े बदे जइहैं
छोट-बड़ टोलिया बनाए-बनाए
बिनु काटे भिंटवा गड़हिया न पटिहैं
अपने खुसी से धन-धरती न बटिहैं
जनता केतलवा तिजोरिया पे लगिहैं
कि महल में बजना बजाए-बजाए
बड़ी-बड़ी कोठिया सजाए पूँजीपतिया
कि दुखिया के रोटिया चोराए-चोराए।
- जमुई खाँ आज़ाद