नहीं मिलती है
रोटी कभी लंबे समय तक
या छिन जाती है मिलकर भी बार-बार
तो भी आदमी नहीं छोड़ता है
रोटी के बारे में सोचना
और उसे पाने की कोशिश करना.
कभी-कभी लंबे समय तक आदमी नहीं पाता है प्यार
और कभी-कभी तो ज़िन्दगी भर.
खो देता है कई बार वह इसे पाकर भी
फिर भी वह सोचता है तब तक
प्यार के बारे में
जब तक धड़कता रहता है उसका दिल.
ऐसा ही,
ठीक ऐसा ही होता है
इंक़लाब के बारे में भी.
पुरानी नहीं पड़ती है हैं बातें कभी भी
इंक़लाब के बारे में.
-कात्यायनी
रोटी कभी लंबे समय तक
या छिन जाती है मिलकर भी बार-बार
तो भी आदमी नहीं छोड़ता है
रोटी के बारे में सोचना
और उसे पाने की कोशिश करना.
कभी-कभी लंबे समय तक आदमी नहीं पाता है प्यार
और कभी-कभी तो ज़िन्दगी भर.
खो देता है कई बार वह इसे पाकर भी
फिर भी वह सोचता है तब तक
प्यार के बारे में
जब तक धड़कता रहता है उसका दिल.
ऐसा ही,
ठीक ऐसा ही होता है
इंक़लाब के बारे में भी.
पुरानी नहीं पड़ती है हैं बातें कभी भी
इंक़लाब के बारे में.
-कात्यायनी