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Friday, February 3, 2012

लड़ाई जारी है...

जारी है-जारी है
अभी लड़ाई जारी है।
यह जो छापा तिलक लगाए और जनेऊधारी है
यह जो जात पॉत पूजक है यह जो भ्रष्टाचारी है
यह जो भूपति कहलाता है जिसकी साहूकारी है
उसे मिटाने और बदलने की करनी  तैयारी है।

यह जो तिलक मांगता है, लडके की धौंस जमाता है
कम दहेज पाकर लड़की का जीवन नरक बनाता है
पैसे के बल पर यह जो अनमेल ब्याह रचाता है
यह जो अन्यायी है सब कुछ ताकत से हथियाता है
उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है।

यह जो काला धन फैला है, यह जो चोरबाजारी है
सत्ता पाँव चूमती जिसके यह जो सरमाएदारी है
यह जो यम-सा नेता है, मतदाता की लाचारी है
उसे मिटाने और बदलने की करनी तैयारी है।
जारी है-जारी है
अभी लड़ाई जारी है।

-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

1 comments:

गुरप्रीत सिंह said...

एक उत्तम रचना।

http://yuvaam.blogspot.com/p/blog-page_9024.html?m=0

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