गाज़ा में इज़रायली बमबारी से ढाये जा रहे क़हर की सबसे ह्रदय विदारक तस्वीरों
में एक बच्चे के खून से सने जूते की तस्वीर भी थी जो शायद बमबारी में
मारा गया था। Musab Iqbal
ने इस पर अंग्रेज़ी में एक मार्मिक कविता लिखी थी जिसको हिन्दी के पाठकों तक पहुँचाने के लिए मैंने इस कविता
का हिन्दी अनुवाद किया है:
मेरे जूते को बचाकर रखना
संभालकर रखना इसे कल के लिए
मलबे के बीच दम तोड़ रहे कल के लिए
मेरे जूते को बचाकर रखना
ग़म के संग्रहालय के लिए
उस संग्रहालय के लिए मैं दे रहा हूं अपने जूते को,
खू़न से सने जूते को
और हताशा में डूबे मेरे शब्दों को
और उम्मीद से लबरेज़ मेरे आंसुओं को
और सन्नाटे में डूबे मेरे दर्द को
समुद्र के किनारे से मेरे फुटबाल को भी उठा लेना,
या शायद उसके कुछ हिस्सों को जिन पर खून के धब्बे नहीं
एक महाशक्ति की कायरता के दस्तख़त हैं
मेरी स्मृति उस बम की खोल में सीलबन्द है
शोक की प्रतिध्वनि में, विदाई के चुंबन में
ज़िन्दगी का हर रंग ज़हरीला है
और जानलेवा रसायनों के बादल हर ख़्वाब का दम घोट रहे हैं
वे तस्वीरें जो तुम्हें रात में परेशान करती हैं
और दिन में जब तुम हमारे बारे में पढ़ते हो (आराम फ़रमाते हुए)
वे तस्वीरें हमें परेशान नहीं करती हैं
अगर कोई चीज़ परेशान करती है तो वह है
तुम्हारी ख़ामोशी, तुम्हारी शिथिलता
तुम्हारी विचारवान निगाहें, तुम्हारा गुनहगार इंतज़ार
यहाँ आक्रोश एक सद्गुण है,
हमारा धैर्य हमारे प्रतिरोध में दर्ज़ है!
अनुवाद - अानन्द सिंह
अंग्रेज़ी की मूल कविता यहां पढी़ जा सकती है।
मेरे जूते को बचाकर रखना
संभालकर रखना इसे कल के लिए
मलबे के बीच दम तोड़ रहे कल के लिए
मेरे जूते को बचाकर रखना
ग़म के संग्रहालय के लिए
उस संग्रहालय के लिए मैं दे रहा हूं अपने जूते को,
खू़न से सने जूते को
और हताशा में डूबे मेरे शब्दों को
और उम्मीद से लबरेज़ मेरे आंसुओं को
और सन्नाटे में डूबे मेरे दर्द को
समुद्र के किनारे से मेरे फुटबाल को भी उठा लेना,
या शायद उसके कुछ हिस्सों को जिन पर खून के धब्बे नहीं
एक महाशक्ति की कायरता के दस्तख़त हैं
मेरी स्मृति उस बम की खोल में सीलबन्द है
शोक की प्रतिध्वनि में, विदाई के चुंबन में
ज़िन्दगी का हर रंग ज़हरीला है
और जानलेवा रसायनों के बादल हर ख़्वाब का दम घोट रहे हैं
वे तस्वीरें जो तुम्हें रात में परेशान करती हैं
और दिन में जब तुम हमारे बारे में पढ़ते हो (आराम फ़रमाते हुए)
वे तस्वीरें हमें परेशान नहीं करती हैं
अगर कोई चीज़ परेशान करती है तो वह है
तुम्हारी ख़ामोशी, तुम्हारी शिथिलता
तुम्हारी विचारवान निगाहें, तुम्हारा गुनहगार इंतज़ार
यहाँ आक्रोश एक सद्गुण है,
हमारा धैर्य हमारे प्रतिरोध में दर्ज़ है!
अनुवाद - अानन्द सिंह
अंग्रेज़ी की मूल कविता यहां पढी़ जा सकती है।