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Sunday, October 17, 2010

तस्वीर बदल दो दुनिया की!!!

तोड़ो ये दीवारें, भर दो अब ये गहरी खाई
जागो दुखियारे इन्सानो
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की

चलती मशीनें ये तेरे ही हाथों से
उगती हैं फसलें ये तेरे ही हाथों से
क्यों फिर ले जाते हैं
ज़ुल्मी जोंक तुम्हारी कमाई
उठ जाओ मज़दूरो और किसानो
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की

ये चौबारे महल उठाये हैं तूने
सुख के सब सामान जुटाये हैं तूने
फिर क्यों बच्चों ने तेरे
हर दम आधी रोटी खायी
उठ जाओ मज़लूमो और जवानो
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की

ज़ुल्मों की कब्रें तेरे ही हाथ खुदेंगी
तेरे ही हाथों नयी दुनिया बनेगी
मत ये समझो तूने 
जीवन की सब पूँजी गँवायी
जागो दुखियारे इन्सानो
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की
         तस्वीर बदल दो दुनिया की

 - शशि प्रकाश

1 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

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