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Sunday, April 10, 2011

शिखरों तक जाने के लिए

कौवाउड़ान दूरियाँ तय करके
संभव नहीं
इन शिखरों तक  पहुँच पाना.
इन तक पहुँचने की
दुर्गम, कठिन, सर्पिल
चढाव-उतार भरी
राहों को जानना होगा.
यात्राओं के लम्बे अनुभव
होने चाहिए-
सफल और असफल दोनों ही,
एकदम ज़िन्दगी की तरह 
चाहे वह आदमी की हो
या फिर किसी कौम की. 

--शशि प्रकाश

1 comments:

KANG Gurpreet said...

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